प्रेम योग -वियोगी हरि
प्रेम व्याधिसुनिये- उनके देखे से जो आ जाती है मुँहपै रोनक, इसलिए- जो वाके तनकी दसा देख्यौ चाहत आप। इतना ही नहीं, वह नेकदिल मरीज अपने सारे दर्द और रंज को उस हकीम के आगे दबा लेता है। यह क्यों? इसलिए कि उसकी कोमल आँखों को बीमार की यह हालत देखकर कहीं कुछ ठेस न लग जाय। अपने प्यारे हकीम का उसे इतना ज्यादा खयाल है। अपने शोक समूह से वह प्रेम का रोगी कहता है- ठेस लग जाये न उनकी हसरते दीदार को। कैसा कुसुमाधिक कोमल तथापि हृदय भेदी भाव है! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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