प्रेम योग -वियोगी हरि पृ. 100

प्रेम योग -वियोगी हरि

Prev.png

प्रेम व्याधि

अब इन अनाड़ी वैद्यों से, इन नीम हकीमों से काम न चलेगा। उस रोगी का इलाज तो एक वही कर सकेगा, जिसने उसके हृदय में यह रोग राज उत्पन्न किया है। रोगी कब से चिल्ला रहा है, पर कोई सुनता ही नहीं। सुनो, वह क्या कहता है-

ना वह मिलै न मैं सुखी, कहु क्यों जीवन होय।
जिन मुझको घायल किया, मेरी दारू सोय।। - दादूदयाल

सो अब कोई उस निठुर से जाकर कह दे कि-

हा हा! दीन जानि वाकी वीनतो ये लीजै मानि
दीजै आनि औषध वियोग रोग राज की। - आनन्दघन

अरे, वह दवा देना क्या जाने। वह क्या इलाज करेगा। खैर, उसे ही बुला लो। पर पीछे रोगी यही कहेगा कि-

पहले नमक छिड़ककर जख्मों को कसके बाँधा
टाँका लगा लगाकर फिर खोल खोल डाला।

कुछ भी कहे, पर आराम उसे इसी इलाज से मिलेगा। प्रेम के रोग का उस प्यारे के ही पास नुस्खा है। वही रोगा का कारण है, वही वैद्य है और वही औषध भी है। महाकवि बिहारी ही लक्ष्य तक पहुँचे हैं, कहते हैं-

मैं लखि नारी ज्ञानु, करि राख्यौ निरधारू यह।
वहई रोग निदानु वहै वैद, औषधि वहै।।

प्रेम पगली मीरा भी अपने प्यारे साँवले वैद्य से ही अपने रोग राज की चिकित्सा कराना चाहती है। हाँ, उस बेचारी का इलाज और कौन करेगा?

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

प्रेम योग -वियोगी हरि
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या
पहला खण्ड
1. प्रेम 1
2. मोह और प्रेम 15
3. एकांकी प्रेम 25
4. प्रेमी 29
5. प्रेम का अधिकारी 41
6. लौकिक से पारलौकिक प्रेम 45
7. प्रेम में तन्मयता 51
8. प्रेम में अधीरता 56
9. प्रेम में अनन्यता 63
10. प्रेमियों का मत मज़हब 72
11. प्रेमियों की अभिलाषाएँ 82
12. प्रेम व्याधि 95
13. प्रेम व्याधि 106
14. प्रेम प्याला 114
15. प्रेम पंथ 120
16. प्रेम मैत्री 130
17. प्रेम निर्वाह 141
18. प्रेम और विरह 146
19. प्रेमाश्रु 166
20. प्रेमी का हृदय 177
21. प्रेमी का मन 181
22. प्रेमियों का सत्संग 186
23. कुछ आदर्श प्रेमी 190
दूसरा खण्ड
1. विश्व प्रेम 204
2. दास्य 213
3. दास्य और सूरदास 223
4. दास्य और तुलसी दास 232
5. वात्सल्य 243
6. वात्सल्य और सूरदास 253
7. वात्सल्य और तुलसीदास 270
8. सख्य 281
9. शान्त भाव 291
10. मधुर रति 299
11. अव्यक्त प्रेम 310
12. मातृ भक्ति 317
13. प्रकृति में ईश्वर प्रेम 322
14. दीनों पर प्रेम 328
15. स्वदेश प्रेम 333
16. प्रेम महिमा 342
अंतिम पृष्ठ 348

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः