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भागवत सुधा -करपात्री महाराज
सबसे बड़ी समस्या इन टेपों को लिपिबद्ध करने की थी। संयोग से परमपूज्य स्वामी जीे के प्रिय शिष्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी ने हमारी प्रार्थना स्वीकार कर इन्हें लिपिबद्ध कर इसकी प्रेस कापी बना दी। उन्होंने परिश्रम कर अपना अमूल्य समय लगा कर चार महीनों में यह कार्य किया है। इस कार्य में उनका सहयोग स्वामी चिन्मयानन्द जी ने किया। हम इन दोनों महात्माओं को प्रणाम करते हुये इनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। परमपूज्य श्री चरणों ने इसकी प्रेस कापी देखी थी और जल्द से जल्द छपवाने की इच्छा व्यक्त की थी। कई कारणों से उनके रहते-रहते यह नहीं हो सका, जिसका हमें हार्दिक खेद है। सुविज्ञ पाठकों को यह विदित ही है कि पूज्य चरणों ने ‘वेदार्थ पारिजात’ नामक वेद भाष्य भूमिका भाग (दो खण्ड) में अब तक के पाश्चात्य एवं सुधारवादी पौरस्त्य विद्वानों की शंकाओं का संकलन कर सनातन मर्यादाओं के सन्दर्भ में उनका समाधान प्रस्तुत कर दिया है। उन्होंने यजुर्वेद के 40 अध्याओं पर भाष्य लिखा। ऋग्वेद का एक मंडल ही वे लिख पाये थे कि उन्हें शिव-सायुज्य की प्राप्ति हो गयी। अब इन भाष्यों का छपाना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।
श्री सायणाचार्य जी के बाद, जिनका समय 16 वीं शताब्दी माना जाता है, कोई भी प्रामाणिक वेदभाष्य नहीं लिखा गया। पूज्य चरणों ने अपनी अलौकि दैवी प्रतिभा के बल पर अपनी ऋतम्भरा प्रज्ञा द्वारा वेदों का भाष्य लिखा है। उनके जीवन काल में ही उनके द्वारा लिखे गये यजुर्वेद के दो अध्यायों का भाष्य छपवाने की योजना बन चुकी थी और उनकी स्वीकृत भी प्राप्त हो चुकी थी। सामान्य व्यक्ति भी वेद की पवित्र, गम्भीर एवं गूढ़ वाणी का अर्थ समझ सके, इसके लिये यह आवश्यक समझा गया कि मन्त्रों का हिन्दी अनुवाद पूज्य श्री के माध्य भाष्य के हिन्दी अनुवाद के साथ छापा जाय। महाराज श्री की आज्ञानुसार हम दो अध्यायों का सानुवाद भाष्य अति शीघ्र ही प्रकाशित करा रहे हैं। लहभग 600 पृष्ठों की यह पुस्तकअपने ढंग की यह अद्वितीय पुस्तक होगी। शेष यजुर्वेद भाष्य तथा ऋग्वेद का एक मण्डल का भाष्य छपना भी आवश्यक है। सरकार, विद्वत्-मंडली एवं परम पूज्य श्री चरणों के भक्तों का यह पावन कर्तव्य है कि वे इस महान कार्य में हमारा सहयोग करें, जिससे हम इस पवित्रतम कार्य को अति शीघ्र ही सम्पादित कर सकें। पूज्य चरणों की शिवसायुज्य प्राप्ति के अनन्तर भाष्य-संदर्भ में यह हमारा प्रथम प्रकाशन होगा। इसलिए हम सम्बन्द्ध लोगों से सहयोग का अनुरोध करते हैं। पूज्य स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती जी महाराज ने हमारी प्रार्थना पर परम पूज्य श्री चरणों का अत्यन्त भाव मय परिचय लिखा है।
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