भागवत सुधा -करपात्री महाराजप्रकाशकीय परमपूज्य धर्मसम्राट् परमब्रह्मस्वरूप अनन्तश्री विभूषित स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा प्रणीत परम पावन ग्रन्थ ‘भागवत सुधा’’ सहृदय, भक्त, रसिक एवं भगवच्चरणानुरागी भक्तों को सौंपते हुये हमें अत्यन्त हर्षानुभूति हो रही है। परमपूज्य श्रीचरणों का अलौकिक व्यक्तित्व आज भी अपने यशःशरीर से अस्तिवादी (आस्तिक) भक्तों के हृदय को अनुप्राणित कर रहा है। जिन लोगों को उनके श्रीमुख से भागवत की कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, वे ही उस परमपुनीत वाणी की दिव्यानुभूति का, रसास्वाद का आनन्द समझ सकते हैं। हमारे परिवार पर उनकी सदैव से अनुकम्पा रही है और हमें सदैव उस वाणी को सुनने का सुअवसर अपने अनेक जन्मों के संचित पुण्यों के परिणामस्वरूप प्राप्त होता आया है। पहले हम लोग अपने कलकत्ता के निवास स्थान पर आठ दस दिनों तक भक्ति ज्ञान विषयक प्रवचन करने के लिये उनसे प्रार्थना करते थे और वे प्रति वर्ष अत्यन्त कृपा कर स्वीकार करते थे और हम लोगों को प्रवचन की पीयूष धारा में निमज्जित कर देते थे। अनेक सालोें तक कलकत्ता में जनता को उनकी वाणी सुन कर अपने मन-क्रम-वचन-व्यवहार को पवित्र करने का अवसर मिलता था। धीरे-धीरे कलकत्ता की अत्यन्त व्यस्त नगरी से उनका मन ऊबने लगा, फलतः आनन्दकन्द ब्रजेन्द्रनन्दन भगवान श्री कृष्णचन्द्र के नित्यलीला धाम में प्रवचन करने की प्रार्थना जब हम लोगों ने की तो उन्होंने अत्यन्त प्रसन्नतापूर्वक इसे स्वीकार कर लिया। |
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