श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
इससे उनके प्रियतम भगवान श्रीकृष्ण की हम पर कृपा-सुधा-धारा अनायास अनवरतरूप से बरसने लगेगी। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान शिव से कहा है-
“वत्स! जो व्यक्ति केवल एक बार हम दोनों की शरण में आकर अथवा एकमात्र मेरी प्रिया (श्रीराधा) की ही शरण में आकर उनकी अनन्य भाव से सेवा करता है, वह निस्संदेह मुझको प्राप्त होता है। महेश्वर! इसके विपरीत जो केवल मेरी शरण आ गया है, पर मेरी प्रिया की शरण नहीं आया, वह मुझको कभी प्राप्त नहीं होगा-यह मैं सत्य कहता हूँ। जो व्यक्ति एक बार भी हम लोगों की शरण आकर ‘मैं तुम लोगों का हूँ’ यों कह देता है, वह बिना ही साधन मुझको प्राप्त होता है-इसमें कोई संदेह नहीं है। अतएव सब प्रकार से प्रयत्न करके मेरी प्रियतमा राधा की शरण ग्रहण करे। हे रुद्र यदि मुझे वश में करना चाहते हो तो मेरी प्रियतमा (राधा) का आश्रय ग्रहण करो।” |
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क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
- ↑ पद्यपुराण, पातालखण्ड 82।83-86
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