श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
यह राधा की छाया कौन थी- इसका भी स्पष्टीकरण उस पुराण में है। केदार राजा की कन्या वृन्दा के तप करने पर भगवान् ने उसको यह वर दिया था कि ‘इस तपस्या के फलस्वरूप तुम मुझे प्राप्त करोगी। फिर व्रज में असली राधाजी जब वृषभानु की कन्या के रूप में अवतीर्ण होंगी, तब तुम उनकी छाया के रूप में उत्पन्न हो ओगी। विवाह के समय रायाण छायारूपिणी तुम्हीं से विवाह करेगा और वह वास्तविक राधा तुमको रायाण के हाथों में अर्पण करके स्वयं अन्तर्धान हो जायगी। गोकुलवासी मूढ़ लोग रायाणपन्ती तुम्हीं को राधा माने रहेंगे। उस समय असली राधा तो मेरे पास निवास करेगी और छायारूपिणी तुम रायाण की स्त्री होकर जीवनयापन करोगी।’ |
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज