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श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग धनाश्री(328) (श्याम बोले-) ‘मैया री! मुझे दोहनी दे, मैं गाय दुहूँगा। मक्खन खाने से मैं बलवान् हो गया हूँ। यह बात बाबा नन्द की शपथ करके कहता हूँ। ‘कजरी, धौरी, लाल, धूमरी आदि मेरी जो गायें हैं, मैं उन्हें तुरंत दुह लाता हूँ, तू धैया (ताजे दूध के ऊपर से निकाला हुआ मक्खन) तैयार कर दूँ। तू दोऊ दादा से पूछ ले मैं गोपियों के समान ही दुह लेता हूँ।’ सूरदासजी कहते हैं-(अपने लाल को) देखकर माता हँस पड़ी और तब बलैया लेने लगीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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