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श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग केदारौ(117) (श्यामसुन्दर कह रहे हैं-) ‘मैया! मैं तो यह चन्द्रमा-खिलौना लूँगा। (यदि तू इसे नहीं देगी तो) अभी पृथ्वी पर लोट जाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा। न तो गैया का दूध पीऊँगा, न सिर में चुटिया गुँथवाऊँगा। मैं अपने नन्दबाबा का पुत्र बनूँगा, तेरा बेटा नहीं कहलाऊँगा।’ तब मैया यशोदा हँसती हुई समझाती हैं और कहती हैं-‘आगे आओ! मेरी बात सुनो, यह बात तुम्हारे दाऊ भैया को मैं नहीं बताऊँगी। तुम्हें मैं नयी पत्नी दूँगी।’ (यह सुनकर श्याम कहने लगे-) ‘तू मेरी मैया है, तेरी शपथ-सुन! मैं इसी समय ब्याह करने जाऊँगा।’ सूरदासजी कहते हैं-प्रभो! मैं आपका कुटिल बाराती (बारात में व्यंग करनेवाला) बनूँगा और (आपके विवाह में) मंगल के सुन्दर गीत गाऊँगा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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