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श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग बिलावल(130) माता आनन्दपूर्वक कह रही हैं-मेरे लाड़िले, गोकुल को सुख देनेवाले लाल, तुम जागो! कुँवर कन्हाई! उठो, तुम्हारे लिये मैं मक्खन, दूध, दही और मिश्री ले आयी हूँ। उठकर पकवान और मिठाइयों का भोजन करो। सबेरे से ही सब सखा द्वारपर खड़े पुकार रहे है कि ‘श्यामसुन्दर! देखो, सूर्य दिखायी देने लगा, अब वन को चलो।’ (माता की) यह बात सुनकर श्रीयदुनाथ अत्यन्त आनन्द से जागे और भोजन करके वन को चल पड़े। सूरदास इनपर बलिहारी जाता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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