विषय सूची
श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग बिलावल(101) माता यशोदा ने अपने पुत्र को बातों में लगा लिया और तबतक दही मथकर मक्खन श्याम के हाथ पर रख दिया। मोहन (थोड़ा-थोड़ा माखन) ले-लेकर होठ से छुलाकर खा रहे हैं, यह देखकर माता का हृदय प्रफुल्लित हो गया है। स्वयं ही खाते हैं और स्वयं ही प्रशंसा करते हैं, मक्खन-रोटी इन्हें बहुत प्रिय हैं। जो प्रभु शिव और सनकादि ऋषियों को भी दुर्लभ हैं, उन्हें पुत्र बनाकर यशोदाजी और नन्दबाबा उनसे (वात्सल्य) प्रेम कर रहे हैं। अपने स्वामी का यह आनन्द देखकर सूरदास इस क्षण को परम धन्य मानता है, जीवन का यही सुफल है (कि श्याम की बाल-लीला के दर्शन हों)। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पद संख्या |