|
उन प्रबल तरंगों का वेग और उनकी घातक शक्ति उसको तनिक भी नहीं हिला सकी है। धर्मान्ध मुसलमानों ने भारत पर चढ़ाई की। उनके एक हाथ में कुरान की पुस्तक और दूसरें में तलवार थी। उन्होंने हिन्दु समाज में खलबली और विभीषिका उत्पन्न कर दी, श्रीकृष्ण के मंदिरों का ध्वंस किया, देश को लूटा, बेचारे निरपराध पुजारियों और उनकी स्त्रियों तथा साधु महात्माओं की हत्या की और निरे पाशविक बल के प्रयोग से असंख्य भारतीयों को शिखा सूत्रहीन बनाया। यह सब होते हुए भी भगवान श्रीकृष्ण की अनन्त शक्ति काल का उपहास करती हुई, अब भी ज्यों की त्यों विद्यमान है। हिन्दुओं के हृदयों पर अब भी उनका अधिकार है और जब तक हिन्दू जाति हैं, वह अक्षुण्ण बना रहेगा। वर्तमान युग में ईसाई पादरी अंग्रेज जाति के अपार धनबल की सहायता से श्रीकृष्ण के उच्च आसन पर ईसा मसीह को प्रतिष्ठित करने और श्रीकृष्ण भक्तों को ईसाई बनाने के लिए जी तोड़ प्रयत्न कर रहे हैं। किन्तु श्रीकृष्ण ने जो अपार मनुष्यों की व्यर्थ चेष्टाओं को असफल करेगी।
श्रीकृष्ण नाम इस विशाल देश के कोने-कोने में और इस प्राचीन आर्य जाति के बच्चे-बच्चे की जीभ पर विराजमान है। उनका मधुर और पावन नाम सोते, जागते, काम करते, सुख में, दु:ख में, विपत्ति और संकट के समय और उत्सवों तथा जातीय त्योहारों में सब समय अतिशय श्रद्धापूर्वक लिया जाता है। भारतवर्ष के छोट-छोटे गांवों में अनपढ़ जनता भी मानवजाति के पर्थप्रदर्शक भगवान श्रीकृष्ण के अलौकिक चरित्रों और बाललीलाओं के गीत बना-बनाकर सदा गाती रहती है। जय-पराजय में, विवाह मंडप और श्मशान में, जन्म और मरण के समय उनके करोड़ों भक्त अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेम के साथ उनका नाम लेते हैं। अधिक क्या लिखें, उनकी दृष्टि में संसार में भला बुरा जो कुछ भी होता है, उसके साथ श्रीकृष्ण का संबंध अवश्य रहता है। पिछले पांच हजार वर्षों से उन्होंने सारी हिन्दुजाति के हृदय पर अधिकार कर रखा है और वे सर्वप्रिय भगवान और सबके उद्धारकर्ता माने जाते हैं। हिन्दुओं के लिए श्रीकृष्ण के जीवन की घटनाएं उतनी ही सच्ची और ऐतिहासिक हैं, जितनी ईसाइयों के लिए ईसामसीह की। इस बात को सभी लोग जानते हैं कि ईसा मसीह के जीवन के संबंध में बाइबल के संक्षिप्त संस्करणों में जितनी भी कथाएं उल्लिखित हैं, उनकी सत्यता को सिद्ध करने के लिए अब तक कोई मनुष्य सर्वमान्य प्रमाण नहीं दे सका है।
|
|