श्रीकृष्णांक
अद्भुतकर्मी श्रीकृष्ण
तदनन्तर ब्रह्माजी पार्वती सहित श्रीशंकर, इन्द्रादि देवता, मुनि, प्रजापति, पितृ, सिद्ध, गन्धर्व, विद्याधर, महानाग, चारण, यक्ष, किन्नर, द्विज, अप्सरा आदि सभी भगवान की इस लीला को देखने के लिए आकाश पर छा गये। अगणित विमानों से आकाश भर गया और सब लोग भगवान का गुणगान करते हुए पुष्प वृष्टि करने लगे ! भगवान ने दिव्य देवों की ओर देखकर आंखे बन्द कर लीं और त्रिभुवनमोहन दिव्य विग्रह शरीर सहित परमधाम को पधार गये। श्रीहरि के साथ ही सत्य, धर्म, धृत, कीर्ति और लक्ष्मी भी पृथ्वी को छोड़कर चली गयीं। विमानों पर बैठे हुए ब्रह्मा, शिव आदि देवताओं ने परमधाम में पधारते हुए भगवान को देखा। इस प्रकार अवतरण से लेकर परमधाम गमन तक भगवान श्रीकृष्णचंद्र ने अनन्त अद्भुत लीलाएं की हैं। यहाँ उनमें से बहुत थोड़ी सी लीलाओं का अति संक्षिप्त वर्णन किया गया है। एवंविधान्यद्भुतानि कृष्णस्य परमात्मन: । हे राजन ! अनन्तवीर्य परमात्मा श्रीकृष्ण की इस प्रकार अनन्त अद्भुत लीलाएं हैं। सूतजी महाराज ने कहा है- य इदमनुश्रृणोति श्ररवयेद्वा मुरारे भगवद्भक्तों के लिए परम सुखदायी कर्लालंकार सदृश सुधा सम्पन्न भगवान के इन अद्भुत चरित्रों को मन लगाकर सुनने- सुनाने वालों का चित्त दृढ़ रुप से भगवान में लग जाता है, जिससे वे भगवान के कल्याणमय परम धाम को प्राप्त होते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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