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श्रीकृष्णांक
श्रीकृष्ण की ऐतिहासिकता पर गान्धी जी
‘गर्देजी को मैं जानता हूँ, तुम्हारा भेजा हुआ अवतरण ध्यानपूर्वक पढ़ गया। मुझे उसमें शान्ति पूर्वक मनन के बदले आवेश अधिक मालूम हुआ है। मैंने जो माना या कहा नहीं है, उसका आरोपण किया है। पाण्डव, कृष्णादि ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं, यह तो मेरा कथन ही नहीं है। मेरा कहना तो यह है कि भले ये सब ऐतिहासिक हों, परन्तु आधुनिक अर्थ में महाभारत ऐतिहासिक ग्रन्थ नहीं है। हम जानते हैं के सीज़र, जोन, हेनरी वगैरा ऐतिहासिक राजा हो गये हैं, फिर भी शेक्सपियर के इन नामों वाले नाटक ऐतिहासिक ग्रन्थ नहीं हैं। उसने नाक के लिये ऐतिहासिक वस्तु और पात्रों का उपयोग किया है और मैंने यह भी न तो कहा है और न कभी सोचा है कि गीता अहिंसा का प्रतिपादन करने के लिये लिखा गया ग्रन्थ है। इसके विपरीत मैंने तो यह माना और कहा है कि अहिंसा धर्म के माने जाते हुए श्रीगीता काल में भौतिक युद्ध को स्थान था। परन्तु में यह मानता हूँ कि गीता का शिक्षण भौतिक युद्ध का समर्थन नहीं करता। भले गीता प्रवर्तक ने इसके विपरीत माना हो तो भी। मेरा यह मत है कि भौतिक शस्त्र युद्ध अहिंसक नहीं हो सकता। अहिंसा में मानते हुए भी, पशुबलि करने वाले भले यह कहें और कहते हैं कि पशुबलि करने की छूट है, परन्तु पशुबलि हिंसा तो है ही। यही बात शस्त्र युद्ध को लागम होती है। इसे अनिवार्य समझकर अपवाद रूप मानें और फिर धर्म भी मानें, यह एक बात है, और यह कहना कि वह अहिंसा है, दूसरी बात है। गर्देजी के लेख में मुझे विचार की शिथिलता और उलझन मालूम देती हैं कैदी की हैसियत से प्रकट में जवाब नहीं दिया जा सकता, परन्तु गर्देजी की जानकारी के लिये तुम मेरा लिखा उन्हें भेज सकते हो।’[1] |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यद्यपि पूज्यपाद महात्माजी के शब्दों पर कुछ भी कहना मेरे सदृश मनुष्य के लिये छोटे मुँह बड़ी बात है, परन्तु जैसे बालक अपने पिता के सामने मन की सच्ची बातें निःसंकोच कह देता है, उसी प्रकार मुझे कहने का अधिकार भी है। अवश्य ही सत्य यह है, मैं ठीक इसी भाव से कह नहीं रहा हूँ। पूज्य महात्माजी के उपर्युक्त कथन से श्रीकृष्ण और महाभारत की ऐतिहासिकता तो सिद्ध नहीं होती। शेक्सपियर ने सीज़र, जोन, हेनरी आदि ऐतिहासिक राजाओं का अपने ग्रन्थों में जैसे उपयोग किया है वैसे ही महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण और पाण्डवों का उपयोग हुआ है। यह कहना कम से कम महाभारत को इतिहास मानना नहीं है। महाभारत इतिहास नहीं है तो महाभारत के श्रीकृष्ण ऐतिहासिक पुरुष कैसे हो सकते हैं? और फिर उनकी गीता की ही क्या महत्ता रह जाती है ?- सम्पादक
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