श्रीकृष्णांक
भगवान श्रीकृष्ण का प्रभाव
महाभारत उद्योग पर्व के 68वें अध्याय में कथा है- संजय दूत बनकर पाण्डवों के पास जाते हैं और वहाँ से लौटकर भगवान वेदव्यासजी की आज्ञा से भगवान श्रीकृष्ण के प्रभाव और ईश्वर सम्बन्धी तत्व का वर्णन करते हैं– यत: सत्यं यतो धर्मो यतो ह्रीरार्जवं यत: । जहाँ सत्य है, जहाँ धर्म है, जहाँ लज्जा है, जहाँ सरलता है, वहीं कृष्ण हैं और जहाँ कृष्ण हैं वहीं जय है– पृथ्वीं चान्तरिक्षंच दिवं च पुरुषोत्तम: । सब प्राणियों के आत्मस्वरूप पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण खेल करते हुए से पृथ्वी, अन्तरिक्ष और देवलोक को घुमा रहे हैं। स कृत्वा पाण्डवान्सत्रं लोकं सम्मोहयन्निव । वे ही भगवान, लोगों को मोहित करते हुए से पाण्डवों को निमित्त बनाकर अधर्मनिरत तुम्हारे मूर्ख पुत्रों को भस्म करना चाहते हैं। कालचकं जगच्चक्रं युगचक्रं च केशव: । भगवान केशवकालचक्र, जगच्चक्र और युगचक्र को अपनी योगशक्ति से निरन्तर घुमाते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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