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इत्यादि, इससे निष्काम कर्म, ईश्वरार्पणबुद्धि से की हुई उपासना और त्याग अनत में एक ही वस्तु निकलते हैं। अतएव श्रीभगवान ने सारी दुनिया के सब प्रकार के अधिकारियों के लिये मोक्ष का कोई-न कोई रास्ता बना दिया है। इसलिये श्रीभगवान ही सारे जगत् के लिये गुरु हो सकते हैं और केवल उन्हीं का बताया हुआ धर्म विश्वव्यापी-धर्म (Universal Religion) हो सकता है। | इत्यादि, इससे निष्काम कर्म, ईश्वरार्पणबुद्धि से की हुई उपासना और त्याग अनत में एक ही वस्तु निकलते हैं। अतएव श्रीभगवान ने सारी दुनिया के सब प्रकार के अधिकारियों के लिये मोक्ष का कोई-न कोई रास्ता बना दिया है। इसलिये श्रीभगवान ही सारे जगत् के लिये गुरु हो सकते हैं और केवल उन्हीं का बताया हुआ धर्म विश्वव्यापी-धर्म (Universal Religion) हो सकता है। | ||
− | ऐसे भगवान की चरणधूलि चाहते हुए, उन्हीं के उपदेश से मिले हुए परमतत्त्व का अनुसंधान करते हुए, या | + | ऐसे भगवान की चरणधूलि चाहते हुए, उन्हीं के उपदेश से मिले हुए परमतत्त्व का अनुसंधान करते हुए, या उन्हीं का नाम रटते हुए, उन्हीं का गुणगान करते हुए, गद्गद-कण्ठ होकर प्रेमाश्रु गिराते हुए जो जीव अपना समय बिताते हैं वे ही धन्य हैं और वे ही कृतकृत्य हैं, क्योंकि उन्हीं के हाथों में इहलोक में कल्याण, परलोक में भगवत्साजुज्य-मोक्षरूपी परम और शाश्वत कल्याण की कुंजी है। |
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01:02, 28 अप्रॅल 2018 के समय का अवतरण
श्रीकृष्णांक
कृष्णस्तु भगवान्स्वयम
एक चमत्कार की बात यह है कि भगवान ने अपने उपदेश में कर्म, भक्ति और ज्ञान का जो समन्वय किया है कि- 'यज्ञार्थात् कर्मणोऽयत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन:।' इत्यादि, इससे निष्काम कर्म, ईश्वरार्पणबुद्धि से की हुई उपासना और त्याग अनत में एक ही वस्तु निकलते हैं। अतएव श्रीभगवान ने सारी दुनिया के सब प्रकार के अधिकारियों के लिये मोक्ष का कोई-न कोई रास्ता बना दिया है। इसलिये श्रीभगवान ही सारे जगत् के लिये गुरु हो सकते हैं और केवल उन्हीं का बताया हुआ धर्म विश्वव्यापी-धर्म (Universal Religion) हो सकता है। ऐसे भगवान की चरणधूलि चाहते हुए, उन्हीं के उपदेश से मिले हुए परमतत्त्व का अनुसंधान करते हुए, या उन्हीं का नाम रटते हुए, उन्हीं का गुणगान करते हुए, गद्गद-कण्ठ होकर प्रेमाश्रु गिराते हुए जो जीव अपना समय बिताते हैं वे ही धन्य हैं और वे ही कृतकृत्य हैं, क्योंकि उन्हीं के हाथों में इहलोक में कल्याण, परलोक में भगवत्साजुज्य-मोक्षरूपी परम और शाश्वत कल्याण की कुंजी है। |