प्रेम योग -वियोगी हरि
प्रेमीयही एक सुगम उपाय है- प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। जब तक इस धड़ पर सर है, जब तक इस दिल के अंदर खुदी है, तब तक उस मालिक से भेंट होने की नहीं। खुदी और खुदा एक साथ नहीं रह सकते। इससे, चढ़ा दो, प्यारे दोस्तो! अपनी खुदी को प्रेम की प्यारी सूली पर, जरा मंसूर की तरफ देखो। उस पगले ने अपना सर सूली पर भेंट करके ही प्यारे की सूरत देखी थी। जिसके सरने सूली की सूरत नहीं देखी, वह प्यारे की सूरत कैसे देख सकता है? इंशान ने क्या अच्छा कहा है- सतर मंसूर के लोहू से हुई यह तहरीर। जिसका सर दार (सूली) का प्यारा नहीं वह प्रेम का सरदार नहीं कहा जा सकता। प्रेमी रसखानि ने अपने प्रेम पात्र से कहा है- सिर काटौ, छेदौ हियो, टूक टूक करि देहु। क्या अच्छा बदला चुकाया जा रहा है। कलम को देखो, हमेशा उँगलियों से लिपटी रहती है। यह सुहाग उसे मिला कैसे? क्या करोगे सुनकर, बड़ी ऊँची है उसकी साधना, उसकी प्रेम साधना- |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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