कन्हाई का पक्षी 2

कन्हाई का पक्षी

लीला-दर्शन


‘आप इसे छोड़ोगे तो उड़ जायगा।’ पक्षी वाले ने कन्हाई की ओर देखकर कहा। श्यान ने दाऊ दादा के कर पर पक्षी बैठा दिया है और स्वयं उसके पैर की रज्जु खोलने लगा है। बालक सब कन्हाई को घेरे खड़े हैं।
‘नहीं भागूँगा!’ पक्षी ही बोला - ‘ये बाँधे रहें तो और खोल दें तो, मैं इनके पास ही रहूँगा। कइयों के बन्धन में पता नहीं कब से हूँ। अब ये बाँधे रहें तो मुझे सुख ही है।’
‘नहीं, बाँधूँगा नहीं तुझे।’ कन्हाई ने कहा। कृष्ण का स्वभाव बाँधना नहीं है। यह बन्धन खोलता ही है - ‘तू रोटी खायगा?’
‘यह केवल फल खाता है।’ पक्षी वाले ने बतलाया। ‘खाऊँगा, तुम जो खिलाओ वही खाऊँगा।’ पक्षी ने पक्षी वाले को डाँट दिया - ‘अब तुम चुप रहो। जाओ! मैं इनका पक्षी हूँ।’
पक्षी रज्जु खुलते ही दाऊ के कर पर से उड़ कर श्याम के वाम स्कन्ध पर बैठ गया। तोक दौड़कर रोटी का टुकड़ा लाया तो उसके हाथ पर बैठकर नन्हीं चोंच से तनिक-तनिक रोटी खाने लगा।
‘मैया तेरे लिये स्वर्ण पिंजरा लटका देगी। रात में उसमें सो जाना और दिन में मेरे साथ वन में चलना।’ कन्हाई पक्षी पाकर उसी में तल्लीन है - ‘वन में बहुत फल हैं - खूब मधुर फल। तू बच्चा देगा?’
‘बच्चा!’ पक्षी चौंका - ‘वह तो मेरी चिरैया अण्डा देती है। उसमें बच्चा निकलता है, बहुत दूर हिमालय में कहीं होगी?’
‘तू उसको बुला ला!’ कन्हाई ने कह दिया - ‘हम उसको भी रोटी देंगे, फल देंगे।’
‘मैं जाऊँ?’ पक्षी का स्वर उदास लगा - ‘मार्ग में पता नहीं कितने व्याध जाल बिछायेंगे। पता नहीं कितने लकड़ियों में गोंद लगाकर मुझे पकड़ने की घात लगायेंगे। तुम मेरा ध्यान रखोगे? मैं तुम्हारा हूँ।’
‘हाँ, रखूँगा!’ कन्हाई के नेत्र भी गम्भीर हो गये - ‘तू जा! अपनी चिरैया को बुला ला।’
पक्षी ने पंख फैलाये, फिर समेट लिये। फिर फैलाये, फिर समेट लिये। बारम्बार पंख फैलाता-समेटता रहा। उसका जी यहाँ से उड़कर कहीं अन्यत्र जाने का नहीं; किंतु इन व्रज राजकुमार का आदेश - इसे टाला भी तो नहीं जा सकता।
पक्षी उड़ा - बहुत देर तक वहीं फुर्र-फुर्र उड़ता रहा। दाऊ, कन्हाई, भद्र - सभी बालकों के, बाबा के, गोपों के सिरों के पास उड़ता रहा। बड़ी देर में वह ऊपर उठा और गगन में जाकर सीधे उत्तर उड़ चला। उसे कोई फँसा पायेगा। वह कन्हाई का पक्षी है। कनूँ तो उसके अदृश्य होने पर भी उसी दिशा में देख रहा है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः