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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 87|परीक्षित की विरक्ति तथा शुकदेव जी का आगमन]]  
 
| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 87|परीक्षित की विरक्ति तथा शुकदेव जी का आगमन]]  
 
| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 87|87]]  
 
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 95|परीक्षित के प्रश्न का उत्तर]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 98|विराट का ध्यान]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 103|सूक्ष्म रूप का ध्यान]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 104|सगुण साकार का ध्यान]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 107|परीक्षित के सृष्टि विषयक प्रश्न]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 109|पुराणों में उत्तर देने की विशेष शैली]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 110|शुकदेव जी का उत्तर]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 111|भगवान नारायण तथा ब्रह्मा जी]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 111|111]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 117|परीक्षित के प्रश्न]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 117|117]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 120|चतुःश्लोकी भागवत]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 125|भागवत पुराण के दस विषय]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 125|125]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 133|विदुर जी तथा मैत्रेय ऋषि का संवाद]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 139|वराह-अवतार]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 142|दिति की याचना]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 145|जय-विजय को आसुरी योनि की प्राप्ति]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 145|145]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 151|हिरण्यकशिपु व हिरण्याक्ष का जन्म]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 151|151]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 152|वराह भगवान के साथ हिरण्याक्ष का युद्ध]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 152|152]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 154|भगवान का ज्ञानावतार (कपिलावतार)]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 154|154]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 159|कपिल भगवान से माता देवहूति का ज्ञानार्जन]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 159|159]]
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| 1.
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 180|दक्ष प्रजापति व शिवजी का वैमनस्य]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 180|180]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 183|दक्ष यज्ञ में सती जी का आत्म दहन]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 183|183]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 186|दक्ष यज्ञ का विध्वंस]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 187|भगवान शंकर द्वारा दक्ष यज्ञ की पूर्ति]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 187|187]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 189|ध्रुव का मान-भंग]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 189|189]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 191|ध्रुव का वन-गमन]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 195|ध्रुव को नारद जी का उपदेश]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 204|भगवद्दर्शन प्राप्त करके ध्रुव जी का घर लौटना]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 204|204]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 205|ध्रुव जी का यक्षों से युद्ध व उन्हें मनु जी की शिक्षा]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 205|205]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 206|ध्रुव जी को ध्रुव लोक की प्राप्ति]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 206|206]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 208|ध्रुव-वंश के राजा अंग तथा वेन की कथा]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 208|208]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 210|पृथु-चरित्र]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 213|राजा पृथु के यज्ञ में भगवान का प्राकट्य]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 215|राजा पृथु का प्रजा को उपदेश]]
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| [[श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द पृ. 217|राजा पृथु को सनत्कुमारों का उपदेश]]
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<noinclude>[[Category:तकनीकी साँचे]]</noinclude>
 
<noinclude>[[Category:तकनीकी साँचे]]</noinclude>

13:51, 14 अगस्त 2016 का अवतरण

श्रीमद्भागवत प्रवचन -तेजोमयानन्द
क्रम संख्या विवरण पृष्ठ संख्या
श्रीमद्भागवत-माहात्म्य
1. मंगलाचरण 3
2. भागवत-माहात्म्य 6
3. नारद जी तथा भक्ति का संवाद 12
4. नारद जी की सनत्कुमारों से भेंट 15
5. भागवत कथा श्रवण की महिमा 21
6. आत्मदेव तथा धुंधुली की कथा 22
7. धुंधुकारी का पतन व उद्धार 26
8. गोकर्ण द्वारा भागवत कथा 29
9. सनत्कुमारों द्वारा भागवत सप्ताह व उसकी विधि 31
प्रथम स्कन्ध
1. शौनक आदि ऋषियों के प्रश्न 41
2. सूत जी के उत्तर 45
3. कर्तव्य का स्वरूप व प्रयोजन 47
4. तत्त्व का स्वरूप 54
5. भगवान के अवतार का प्रयोजन 59
6. वेद व्यास जी का असंतोष 64
7. नारद जी के पूर्व जन्म की कथा 70
8. गर्भ में परीक्षित की रक्षा 73
9. अधिकारी के लक्षण 74
10. विदुर जी के उपदेश से धृतराष्ट्र व गांधारी का वन-गमन 75
11. धर्म व पृथ्वी का संवाद 77
12. परीक्षित के द्वारा कलि का निग्रह 80
13. कलि के पाँच निवास स्थान 81
14. राजा परीक्षित को ऋषिपुत्र का शाप 83
15. परीक्षित का पश्चात्ताप व दण्ड की याचना 85
16. परीक्षित की विरक्ति तथा शुकदेव जी का आगमन 87
द्वितीय स्कन्ध
1. परीक्षित के प्रश्न का उत्तर 95
2. विराट का ध्यान 98
3. सूक्ष्म रूप का ध्यान 103
4. सगुण साकार का ध्यान 104
5. परीक्षित के सृष्टि विषयक प्रश्न 107
6. पुराणों में उत्तर देने की विशेष शैली 109
7. शुकदेव जी का उत्तर 110
8. भगवान नारायण तथा ब्रह्मा जी 111
9. परीक्षित के प्रश्न 117
10. चतुःश्लोकी भागवत 120
11. भागवत पुराण के दस विषय 125
तृतीय स्कन्ध
1. विदुर जी तथा मैत्रेय ऋषि का संवाद 133
2. वराह-अवतार 139
3. दिति की याचना 142
4. जय-विजय को आसुरी योनि की प्राप्ति 145
5. हिरण्यकशिपु व हिरण्याक्ष का जन्म 151
6. वराह भगवान के साथ हिरण्याक्ष का युद्ध 152
7. भगवान का ज्ञानावतार (कपिलावतार) 154
8. कपिल भगवान से माता देवहूति का ज्ञानार्जन 159
चतुर्थ स्कन्ध
1. दक्ष प्रजापति व शिवजी का वैमनस्य 180
2. दक्ष यज्ञ में सती जी का आत्म दहन 183
3. दक्ष यज्ञ का विध्वंस 186
4. भगवान शंकर द्वारा दक्ष यज्ञ की पूर्ति 187
5. ध्रुव का मान-भंग 189
6. ध्रुव का वन-गमन 191
7. ध्रुव को नारद जी का उपदेश 195
8. भगवद्दर्शन प्राप्त करके ध्रुव जी का घर लौटना 204
9. ध्रुव जी का यक्षों से युद्ध व उन्हें मनु जी की शिक्षा 205
10. ध्रुव जी को ध्रुव लोक की प्राप्ति 206
11. ध्रुव-वंश के राजा अंग तथा वेन की कथा 208
12. पृथु-चरित्र 210
13. राजा पृथु के यज्ञ में भगवान का प्राकट्य 213
14. राजा पृथु का प्रजा को उपदेश 215
15. राजा पृथु को सनत्कुमारों का उपदेश 217