विषय सूचीभागवत सुधा -करपात्री महाराजसप्तम-पुरुष 1. राजा बलि के पूर्व जन्म का वृतान्तयह कोई भगवान को माला अर्पण करने वाला तो था नहीं, पर देखा जब मर ही रहे हैं तो शिवार्पण कर दें, इसी भावना से इसने माला शिवार्पण कर दी। बस यही एक इसका पुण्य है।’’ यमराज ने कहा- ‘भाई, इसका है तो कुछ पुण्य।’ जुआरी से बोले- ‘भाई तुम पहले पुण्य का फल भोगोगे या पाप का?’ जुआरी ने कहा- ‘सुन रहा हूँ’ पाप तो जन्म-जन्मान्तर, युग-युगान्तर और कल्प-कल्पान्तर के हैं, उनको भोगेन लगेंगे तो उनके अन्त का कुछ पता नहीं कि कब अन्त हो। इसलिये पुण्य का फल चाहिये।’ यमराज ने कहा- ‘तुम दो घड़ी के लिये इन्द्र लोक के मालिक बने।’ जुआरी दो घड़ी के लिये इन्द्रलोक का मालिक बना, इन्द्रासन पर विराजमान हुआ। अप्सरायें गुणगान करने आयीं, गन्धर्व गुणगान करने आये। उन गन्धर्वों में नारद भी थे। नारद को हँसी आ गयी, हँस दिये। जुआरी बोला- ‘इन्द्र के दरबार में बे-अदबी! हँसते हो? नारद जी बोले- नहीं, नहीं कुछ नहीं। जुआरी बोला- बताओ क्यों हँसते हो? नारद जी ने कहा- हम को श्लोक याद आता है, इसको पूर्वमीमांसक भी मानते हैं और नैयायिक भी मानते हैं- सन्दिग्धे परलोकेअपि कर्तव्यः पुण्यसंचयः। अर्थात परलोक में संशय हो तो भी पुण्य का संचय करते चलो। अगर परलोक नहीं है तो आस्तिक का कोई नुकसान नहीं है। कहीं परलोक सत्य हुआ तो नास्तिक मारा जायगा। खाने-पीने मैं कुछ समय बीतता है, गप्प-सप्प लड़ाने में कुछ बीतता है, चलो कुछ समय भगवन्नाम जप कर लिया। उपन्यास पढ़ने में नहीं बिगड़ा, नाटक पढ़ने में कुछ नहीं बिगड़ा, गप्प-सप्प लड़ाने में कुछ नहीं बिगड़ा, तो जप-तप कर लेने में ही क्या बिगड़ा? कहीं आपको जाना है। दो मित्र मिले। एक मित्र ने कहा कि मार्ग में सिंह-व्याघ्र का उप्रदव है। एक बन्दूक कन्धे पर रख लो और मार्ग में भोजन-जल की अव्यवस्था है। इसलिए एक खुराक भोजन-पानी का भी प्रबन्ध कर लो। दूसरे मित्र ने पहले से कहा- झूठ बोलते हो, कुछ नहीं है।’ अब अगर आप पहले मित्र की बात मानकर कन्धे पर बन्दूक रख लेते हैं, एक खुराक खाने-पीने का प्रबन्ध कर लेते हैं। मान लिया सिंह-व्याघ्र नहीं मिला तो भी कन्धे पर बन्दूक पड़ी रहेगी, क्या नुकसान? अन्न-पानी की कमी नहीं रही तो भी एक खुराक अन्न-पानी साथ रखने में क्या नुकसान? इस तरह नास्तिक पक्ष की अपेक्षा आस्तिक पक्ष सर्वथा महत्त्वपूर्ण है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्लोककवार्तिक,कुमारिल भट्ट
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