श्री द्वारिकाधीश -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
45. व्रजराज-विदा
कभी वसुदेव जी रोक लेते हैं और कभी महाराज उग्रसेन आग्रह करते हैं। कभी श्रीबलराम अथवा श्रीकृष्णचन्द्र नहीं जाने देते। कभी देवकी देवी अथवा रोहिणी जी कहला देती हैं- 'आज तो अमुक पुत्र या पौत्र का जन्मदिन अथव जन्म नक्षत्र है। आप सब आज नहीं जा सकते।' कभी दिक्शूल आ जाता है और कभी नक्षत्र या चन्द्रमा शुभ नहीं होता। जब हृदय ही जाने के पक्ष में न हो तो बहाने बने बनाये ही हैं। 'आज नहीं कल' इस प्रकार करते-करते पूरे तीन महीने हो गये व्रजराज को कुरुक्षेत्र आये। अब तक कई बार वर्षा हो चुकी। अब और रुकने से यात्रा असम्भव हो जायगी। व्रजराज को, व्रज के लोगों को लगा कि अब यदि वे और रुकते हैं तो उनके राम-श्याम को कष्ट होगा। उन्हें सम्पूर्ण परिवार के साथ द्वारिका लौटना है। दूर है द्वारिका और मार्ग में अनेक दुर्गम स्थान हैं। यदि सरिताओं में बाढ़ जा जाये- नहीं और रुकना उचित नहीं है। 'अब आप सब आज्ञा दें। छकड़े जुत गये। सामग्री छकड़ों पर रखी जा चुकी, तब व्रजराज विदा लेने आये।' आपका अतिशय स्नेह, किन्तु अब जाना चाहिए हम सबको।' बड़ा ही दुःखद होता है यह स्वजनों के वियुक्त होने का समय। महारानियों ने, माता देवकी, रोहिणी जी प्रभृति सबने मैया यशोदा को, गोपियों को, मिलकर विदा दी। महाराज उग्रसेन, वसुदेव जी, प्रभृति दूर तक पहुँचाने गये। उन्हें आग्रह करके व्रजराज ने लौटाया। उद्धव तथा यदुकुल के कुमार बहुत दूर तक जाकर कठिनाई से लौटे और लौटते ही यादव शिविर भी समेटा जाने लगा। श्रीव्रजराज विदा हो गये तो अब कुरुक्षेत्र के इस सूने मैदान में दो घड़ी भी किसी का मन लगेगा? राम-श्याम बाबा से, मैया से, सखाओं से, गोपियों से सबसे मिलते हैं। एक छकड़े से उतरते हैं और दूसरे पर जा बैठते हैं। इन्हें भी विदा होना है, सोचते ही लगता है कि शरीर निष्प्राण हो जायेंगे और सचमुच इन्हें विदा होना कहाँ है। ये व्रज से, व्रजजनों से वियुक्त कभी रहे भी हैं या आज ही रहेंगे। व्रज के लोगों को तो यही लगता है कि उनके दाऊ-कन्हाई उनके साथ ही हैं। क्या हुआ कि उनके छकड़े से उतरकर दूसरे छकड़े पर जा बैठे। अब यह तो द्वारिका के लोग देखते हैं कि दोनों भाई बहुत दूर तक पहुँचाकर लौट रहे हैं। उन्हें रथ से लाना पड़ा है और दोनों अत्यन्त व्याकुल हैं। दोनों को जैसे कुछ सुधि नहीं। अब दोनों को लेकर शीघ्र द्वारिका चल देना ही सबको उचित लगता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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