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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
76. प्रलम्बासुर-उद्धार
अधिनायक राम, कृष्ण एवं उनके प्रतिस्पर्धी प्रलम्ब तथा श्रीदाम की बारी पीछे आयेगी। अभी तो शिशुओं के उद्दाम कौतुक का प्रवाह है। वाग्वादिनी को भी उनके कण्ठ की ओट से अवसर मिल गया है। न जाने कैसी-कैसी अद्भुत विचित्र एवं रसमयी, प्रतिभामयी तुकबंदियों की रचना कर वे शिशु अपने आन्तरिक उल्लास को व्यक्त कर रहे हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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