श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
73. धेनुकासुर-वध
अब अन्तरिक्ष से देवगण कुुसुमों की वर्षा करने लगते हैं। साथ ही उनके ‘जय-जय’ घोष से कानन प्रतिनादित हो उठता है-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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अब अन्तरिक्ष से देवगण कुुसुमों की वर्षा करने लगते हैं। साथ ही उनके ‘जय-जय’ घोष से कानन प्रतिनादित हो उठता है-
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