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- पुनि करि क्रोध निकट चलि आवा।
- बल सनमुख निज बल देखरावा।।
- पिछले जुग पद जोरि गँवारा।
- पुनि बल-उर कहुँ करेउ प्रहारा।।
- आवत चरन देख बल जबहीं।
- पकरि लियौ पग जुग कर तबहीं।।
- एक पानि गहि, ताहि घुमाई।
- पटकि ताल तरु पै सुख पाई।।
- भ्रमतहिं प्रान गयौ चलि तासू।
- मरयौ अघी अपनें अघ आसू।।
- बल-उद्धत बलराम महाबल झपटि धरयौ झुकि असुर कठोर।
- कर पर हरबर फेरि फिरावत, उलछारत, झारत झकझोर।।
- तरबर-मूल भूमि गहि पटक्यौ, झटक्यौ चट-चट-फटक्यौ फेरि।
- झहरत प्रभु, हहरति बसुधा, तहँ भभरि भगे मृग-गन तेहि बेरि।।
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