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- बिहँसत हरि सँग चले गुवाला।
- नाचत-गावत गुन गोपाला।।
- गए ताल-वन राजत दोऊ।
- मत्त गयंद सरिस सुठि सोऊ।।
- गहन जाइ बल कर गहि ताला।
- दियउ हलाइ गिरे फल-जाला।।
- सो सुनि कै जुग बंधु चले मिलि संग सखा जु प्रमोद भरे रस।
- सुंदर रम्य अरन्य लख्यौ, बन पैंठत अग्रज अग्र भये हँस।।
- मंजुल पक्क फरे फल-पुंजन, गुंजन भौंर, प्रसून भरे तहँ।
- राम कँपावत ब्रच्छ-समूह, झरे फल-फूल, ढरे छिति पै जहँ।।
- झरत सुमन-फल, गिरत तहँ, बिथुरत बिपुल रसाल।
- भरत गोद हरबर धरत करत कुलाहल बाल।।
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