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- तेहि भय भीत मनुज नहीं जाहीं।
- पसु-पंक्षी नहिं निकट रहाहीं।।
- फल अभुक्त-पूरब जदुनंदा।
- अति सौरभ फल हैं सुख-कंदा।।
- अनिल संग यह सुरभि अनूपा।
- मन कहँ खैंचि लेइ सुखरूपा।।
- मन लोभित फल चाह विसेषी।
- दीजिय नाथ कृपा हिय पेखी।।
- हे बलदेव! चाह चित भूरी।
- चलिय, नाथ! कीजै रुचि पूरी।।
- जो इच्छा प्रभु! होइ तुम्हारी।
- चलहु, नाथ! तौ जन सुखकारी।।
- भारी भूख लगी है, चलौ।
- भैया, बहुत मानिहैं भलौ।।
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