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- राम राम हे यदुकुल भूषन।
- अहो कृष्न अघ-दनुज-विदूषन।।
- इत तैं निकट ताल-बन सुंदर।
- सघन सुहावन फल सुख-मंदिर।।
- गिरे-गिरत फल पक्व सुहावन।
- छिति छिपि रही, अमिय सम पावन।।
- है परंतु धेनुक अति घोरा।
- रोक्यौ तिन सब फल चहु ओरा।।
- अति बिसाल, बल काल समाना।
- खर-सरूप तन कुलिस प्रमाना।।
- ताहि सरिस बल अपर बहु, ग्याति तासु अति घोर।
- नर-अहार संतत करैं, कुमती कठिन कठोर।।
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