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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
10. व्रज में क्रमशः छहों ऋतुओं का आगमन और श्रीकृष्ण की वर्षगाँठ
इसके दो दिन बाद ही ग्रीष्म ने देखा कि श्रीकृष्णचन्द्र खड़े होने लगे हैं तथा मैया अब उन्हें चलना सिखला रही हैं-
पास खड़े आनन्द-मुग्ध व्रजेश्वर पुत्र की ओर देख रहे हैं। मैया की चेष्टा जब सफल नहीं होती, तब पुत्र को स्पर्श करने के लोभ से वे स्वयं शिक्षा देने आते हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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