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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
10. व्रज में क्रमशः छहों ऋतुओं का आगमन और श्रीकृष्ण की वर्षगाँठ
एक-से-एक बढ़कर सरस एवं आश्चर्य में भर देने वाली लीलाएँ ग्रीष्म के सामने प्रकट हो रही थीं तथा वह देख-देखकर मुग्ध हो रहा था। अब उसने देखा कि यशोदारानी श्रीकृष्ण को खड़ा होना सिखला रही हैं-
किंतु आश्चर्य है, अनन्तशक्ति श्रीकृष्ण में अभी यह शक्ति नहीं है कि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। अस्तु, उनकी असमर्थता एवं जननी यशोदा की लालसा देखकर पास में खड़ी व्रजागनाएँ श्रीकृष्ण को प्रोत्साहन देने जाती हैं, श्रीकृष्ण की भुजा पकड़कर खड़ा होने को कहती हैं। कैसी भुजा पकड़कर?
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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