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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
63. श्रीकृष्ण का कालिय नाग पर शासन करने के उद्देश्य से कालिय ह्नद के तट पर अवस्थित कदम्ब के वृक्ष पर चढ़कर वहाँ से कालिय ह्नद में कूद पड़ना
अस्तु, अपलक दृष्टि से वे शिशु देखते ही रहे तथा श्रीकृष्णचन्द्र दौड़ कर कदम्ब के समीप जा पहुँचे। अत्यन्त शीघ्रता से उन्होंने कटि वस्त्र को समेटकर दृढ़ता पूर्वक बाँधा। वह बिखरी हुई अलकावलि भी चटपट सहेज ली-
फिर दाहिने करतल से वाम भुजा को ठोक कर उन्होंने उस कदम्ब तरु पर चढ़ना आरम्भ किया, अरे नहीं, वह देखो- वे तरु के ऊपर की सर्वोच्च शाखा पर जा विराजे। ओह! इस समय का उनका वह उत्साह! वह अप्रतिम सौन्दर्य! बस, कहना ही क्या है-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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