- महाभारत अनुशासन पर्व के दानधर्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 153 में वायु द्वारा उदाहरण सहित ब्राह्मणों की महत्ता का वर्णन हुआ है।[1]
विषय सूची
वायु देवता द्वारा ब्राह्मणों के गुणों वर्णन
वायु ने कहा- मूढ़! मैं महात्मा ब्राह्मणों के कुछ गुणों का वर्णन करता हूँ, सुनो। राजन! तुमने पृथ्वी, जल और अग्नि आदि जिन व्यक्तियों का नाम लिया है, उन सबकी अपेक्षा ब्राह्मण श्रेष्ठ है। एक समय की बात है, राजा अंग के साथ स्पर्धा (लाग-डाट) होने के कारण पृथ्वी की अधिष्ठात्री देवी अपने लोक-धर्म धारण रूप शक्ति का परित्याग करके अदृश्य हो गयीं। उस समय विप्रवर कश्यप ने अपने तपोबल से इस स्थूल पृथ्वी को थाम रखा था।
राजन्! ब्राह्मण इस मर्त्यलोक और स्वर्गलोक में भी अजेय हैं। पहले की बात है, महामना अंगिरा मुनि जल को दूध की भाँति पी गये थे। उस समय उन्हें पीने से तृप्ति ही नहीं होती थी। अतः पीते-पीते वे अपने तेज से पृथ्वी का सारा जल पी गये। पृथ्वीनाथ! तत्पश्चात उन्होंने जल का महान स्त्रोत बहाकर सम्पूर्ण पृथ्वी को भर दिया। वे ही अंगिरा मुनि एक बार मेरे ऊपर कुपित हो गये थे। उस समय उनके भय से इस जगत को त्याग कर मुझे दीर्घकाल तक अग्निहोत्र की अग्नि में निवास करना पड़ा था। महर्षि गौतम ने ऐश्वर्यशाली इन्द्र को अहल्या पर आसक्त होने के कारण शाप दे दिया था। केवल धर्म की रक्षा के लिये उनके प्राण नहीं लिये।
वायु द्वारा ब्राह्मणों की महत्ता का वर्णन
नरेश्वर! समुद्र पहले मीठे जल से भरा रहता था, परंतु ब्राह्मणों के शाप से उसका पानी खारा हो गया। अग्नि का रंग पहले सोने के समान था, उसमें से धुआँ नहीं निकलता था और उसकी लपट सदा ऊपर की ओर ही उठती थी, किन्तु क्रोध में भरे हुए अंगिरा ऋषि ने उसे शाप दे दिया। इसलिये अब उसमें ये पूर्वोक्त गुण नहीं रह गये। देखो, उत्तम (ब्राह्मण) वर्णधारी ब्रह्मर्षि कपिल के शाप से दग्ध हुए सगर पुत्रों की, जो यज्ञसम्बन्धी अश्व की खोज करते हुए यहाँ समुद्र तक आये थे, ये राख के ढेर पड़े हुए हैं। राजन! तुम ब्राह्मणों की समानता कदापि नहीं कर सकते। उनसे अपने कल्याण के उपाय जानने का यत्न करो।
राजा गर्भस्थ ब्राह्मणों को भी भली-भाँति प्रणाम करता है। दण्डकारण्य का विशाल साम्राज्य एक ब्राह्मण ने ही नष्ट कर दिया। तालजंघ नाम वाले महान क्षत्रियवंश का अकेले महात्मा और्व ने संहार कर डाला। स्वयं तुम्हें भी जो परम दुर्लभ विशाल राज्य, बल, धर्म तथा शास्त्रज्ञान की प्राप्ति हुई है, वह विप्रवर दत्तात्रेय जी की कृपा से ही सम्भव हुआ है। अर्जुन! अग्नि भी तो ब्राह्मण ही है। तुम प्रतिदिन उसका यजन क्यों करते हो? क्या तुम नहीं जानते कि अग्नि ही सम्पूर्ण लोकों के हव्यवाहन (हविष्य पहुँचाने वाले) हैं। अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण प्रत्येक जीव की रक्षा और जीव-जगत की सृष्टि करने वाला है। इस बात को जानते हुए भी तुम क्यों मोह में पड़े हुए हो। जिन्होंने इस सम्पूर्ण चराचर जगत की सृष्टि की है, वे अव्यक्तस्वरूप अविनाशी प्रजापति भगवान ब्रह्मा जी भी ब्राह्मण ही हैं। कुछ मूर्ख मनुष्य ब्रह्मा जी को भी अण्ड से उत्पन्न मानते हैं। (उनकी मान्यता है कि) फूटे हुए अण्ड से पर्वत, दिशाएँ, जल, पृथ्वी और स्वर्ग की उत्पत्ति हुई है।[1]
परंतु ऐसा नहीं समझना चाहिये, क्योंकि जो अजन्मा है, वह जन्म कैसे ले सकता है? फिर भी जो उन्हें अण्डज कहा जाता है, उसका अभिप्राय यों समझना चाहिये। महाकाश ही यहाँ ‘अण्ड’ है, उससे पितामह प्रकट हुए हैं (इसलिये वे ‘अण्डज’ हैं)।
यदि कहो, ‘ब्रह्मा आकाश से प्रकट हुए हैं तो किस आधार पर ठहरते हैं, यह बताइये, क्योंकि उस समय कोई दूसरा आधार नहीं रहता’ तो इसके उत्तर में निवेदन है कि ब्रह्मा वहाँ अहंकारस्वरूप बताये गये, जो सम्पूर्ण तेजों में व्याप्त एवं समर्थ बताये गये हैं।
वास्तव में ‘अण्ड’ नाम की कोई वस्तु नहीं है। फिर भी ब्रह्मा जी का अस्तित्व है, क्योंकि वे ही जगत के उत्पादक हैं। उनके ऐसा कहने पर राजा कार्तवीर्य अर्जुन चुप हो गये, तब वायु देवता पुनः उनसे बोले।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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| वायु द्वारा धर्माधर्म के रहस्य का वर्णन
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| प्रमथगणों द्वारा धर्माधर्म सम्बन्धी रहस्य का कथन
| दिग्गजों का धर्म सम्बन्धी रहस्य एवं प्रभाव
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| तपस्वी श्रीकृष्ण के पास ऋषियों का आना
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| नारद द्वारा हिमालय पर शिव की शोभा का विस्तृत वर्णन
| शिव के तीसरे नेत्र से हिमालय का भस्म होना
| शिव-पार्वती के धर्म-विषयक संवाद की उत्थापना
| वर्णाश्रम सम्बन्धी आचार
| प्रवृत्ति-निवृत्तिरूप धर्म का निरूपण
| वानप्रस्थ धर्म तथा उसके पालन की विधि और महिमा
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| विविध प्रकार के कर्मफलों का वर्णन
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| उमा-महेश्वर संवाद में महत्त्वपूर्ण विषयों का विवेचन
| प्राणियों के चार भेदों का निरूपण
| पूर्वजन्म की स्मृति का रहस्य
| मरकर फिर लौटने में कारण स्वप्नदर्शन
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| यमलोक तथा वहाँ के मार्गों का वर्णन
| पापियों की नरकयातनाओं का वर्णन
| कर्मानुसार विभिन्न योनियों में पापियों के जन्म का उल्लेख
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भीष्मस्वर्गारोहण पर्व
भीष्म के अन्त्येष्टि संस्कार की सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदि का आगमन
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