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‘महाप्रभावशाली श्रीकृष्ण! भैया श्रीकृष्ण! परम बलशाली बलराम! देखो, दावाग्नि से हम सब भस्म होने जा रहे हैं हो! तुम दोनों हम शरणागतों की रक्षा कर लो! अहो कृष्ण! भला, तुम जिनके बान्धव हो- तुम पर ही जिनका सर्वस्व अवलम्बित है, उन्हें किसी प्रकार से भी दुःख भागी नहीं होना चाहिए। हमारे लिये एक मात्र तुम्हीं आश्रय हो, हमारी एक मात्र तुम में ही निष्ठा है। अपना एवं हमारा क्या धर्म कर्तव्य है, इसे तुम जानते हो। अतएव इस समय भी तुम्हें जो करना है, वह करोगे ही।’
- राम-कृष्न हम सरन तिहारी।
- राखहु तुम अब, हे दनुजारी।।
- दावानल यह प्रबल न थोरा।
- जारत नाथ! जीव बरजोरा।।
- राखनहार नाथ! तुम अहहू।
- अमित पराक्रम गति बल सबहू।।
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