|
- ठाँ-ठाँ गिरि तैं निर्झर झरैं।
- ते वै सलिल सिलन पर परैं।
- तिन तैं बहति जु सरिता गहिरी।
- दूरि-दूरि लौं परसति लहरी।।
- बहुरि अनेक अगाध जु सरबर।
- रस झूमरे, घूमरे तरबर।।
- तिन के तर तृन-बीरुध जिते।
- हरित-हरित रँग भरित सु तिते।।
- तरनि-किरनि जिन नैंक न परसै।
- छिन छिन में छबि तिन में सरसै।।
- कुसुमित बनराजी अति राजी।
- जैसी नहिंन बसंत बिराजी।।
- ठौर-ठौर सर सरसिज फूले।
- डोलत लंपट अलिकुल भूले।।
- कमल पवन अरु चंदन पौन।
- मिलि जु बहत, सुख कहियै कौन।।
- बोलत सुक, जनु सुक-मुनि पढ़े।
- सरसुति सम कल कोकिल रढ़े।।
- मधुर-मधुर सुर बोलत मोर।
- नंद-सुवन के मन के चोर।।[1]
|
|