गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 133

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
आठवां अध्याय
अक्षरब्रह्म्रयोग


कविं पुराणमनुशासितार-
मणोरणीयांसमनुस्‍मरेद्य:
सर्वस्‍य धातारमचिन्‍त्‍यरूप-
मादित्‍यवर्ण तमस: परस्‍तात्।।9।।
प्रयाणकाले मनसाचलेन
भक्‍तया युक्‍तो योगबलेन चैव।
भ्रुवोर्मध्‍ये प्राणमावेश्‍य सम्‍यक्
स तं परं पुरुषामुर्पति दिव्‍यम्।।10।।

जो मनुष्‍य मृत्‍यु काल में अचल मन से, भक्ति से मुक्‍त होकर और योगबल से भृकुटी के बीच में अच्‍छी तरह प्राण को स्‍थापित करके सर्वज्ञ, पुरातन, नियंता, सूक्ष्‍मतम, सबके पालनहार, अचिंत्‍य, सूर्य के समान तेजस्‍वी, अज्ञान रूपी अन्‍धकार से पर स्‍वरूप का ठीक स्‍मरण करता है वह दिव्‍य परमपुरुष को पाता है।

यदक्षरं वेदविदो वदन्ति
विशन्ति यद्यतयो वीतरागा:।
यदिच्‍छन्‍तो ब्रह्मचर्य चरन्ति
तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्‍ये।।11।।

जिसे वेद जानने वाले अक्षर नाम से वर्णन करते हैं, जिसमें वीतराग मुनि प्रवेश करते हैं और‍ जिसकी प्राप्ति की इच्‍छा से लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, उस पद का संक्षिप्‍त वर्णन मैं तुझसे करूंगा।

सर्वद्वराणि संयम्‍य
मनो हृदि निरुध्‍य च।
मूर्ध्न्याधायात्‍मन: प्राण-
मास्थितो योगधारणाम्।।12।।
ओमित्‍येकाक्षरं ब्रह्म व्‍याहरन्‍मामनुस्‍मरन्।
य: प्रयाति त्‍यजन्‍देहं स याति परमां गतिंम्।।13।।

इंद्रियों के सब द्वारों को रोककर, मन को हृदय में ठहराकर, मस्‍तक में प्राण को धारण करके समाधिस्‍थ होकर ऐसे एकाक्षरी ब्रह्म का उच्‍चारण और मेरा चिंतन करता हुआ जो मनुष्‍य देह त्‍यागता है वह परमगति को पाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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