गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 226

गीता माता -महात्मा गांधी

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गीता-प्रवेशिका
(गीता के सरल और भक्ति-प्रधान श्‍लोकों के संग्रह)
दो शब्‍द

 

यह गीता-प्रवेशिका यरवदा-मंदिर में गत वर्ष संग्रहीत की गई थी। मेरा तीसरा पुत्र रामदास उसी मंदिर[1] में था। उसको कई बार मिलने का अथवा लिखने का मौका मुझे अमलदार दिया करते थे। रामदास गीता पढ़ता था, परंतु सब-कुछ समझ नहीं सकता था। रामदास में भक्ति-भाव है, श्रद्धा भी है। उसकी सहायता के लिए मैंने गीता के सरल और भक्ति-प्रधान श्‍लोकों को संग्रह करके भेजा। रामदास को यह संग्रह अच्‍छा लगा। मैंने उसे रामगीता का नाम देकर और भी रामदास को प्रोत्‍साहन दिया।

बाबा राघवदास ने उसे काका साहब के हाथ में देखा, पढ़ा और हरिजन-सेवकों के लिए यह संग्रह उपयोगी होगा ऐसा उनको लगा और इस दृष्टि से उसे छपवाने की सम्‍मति मांगी। मैं कोई पंडित नहीं हूं, इसलिए यह संग्रह छपवाने योग्‍य है या नहीं, उस बारे में मैं निश्‍चय नहीं कर सकता था।

आश्रमनिवासी श्री विनोबा, काका साहब और बालकृष्‍ण यही थे। तीनों गीता के अभ्‍यासी और भक्‍त हैं। मैंने बाबा जी से कहा, यदि ये तीन आश्रमवासी पसंद करें तो उस संग्रह को छपवाने में मुझे कोई बाधा नहीं है। तीनों ने विचार करके और उपयोगिता बढ़ाने की दृष्टि से तीन श्‍लोक निकालने की और चार नये दाखिल करने की सलाह दी। इतनी सुधारणा के साथ यह संग्रह सेवक, सेविका और अन्‍य गीता-भक्‍तों के सामने रखा जाता है।

आशा और आशय यह है कि इस संग्रह को प्रवेशिका की दृष्टि से ही पढ़ा जाये और अच्‍छी तरह समझने के बाद पूर्ण गीता का अभ्‍यास किया जाये। साथ इतना भी स्‍मरण में रखा जाये कि प्रवेशिका अथवा पूर्ण गीता कंठ करने से ही अथवा उसका पूर्ण अर्थ समझने से ही कुछ आत्‍मलाभ हासिल नहीं होगा। गीता अनुकरण के लिए है। उसके पारिभाषिक शब्‍द अच्‍छी तरह समझने के बाद और उसका मध्‍यबिंदु अनासक्ति हृदयगत होने के बाद गीता समझने में कम कठिनाई आती है।

सत्‍याग्रह आश्रम —मोहनदास करमचंद गांधी

वर्धा

1-1033

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जेल

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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