कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) |
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;बन बृंदाबन, गोधन, गिरिबर, जमुना-पुलिन, मनोहर तरुबर। | ;बन बृंदाबन, गोधन, गिरिबर, जमुना-पुलिन, मनोहर तरुबर। |
01:13, 24 मार्च 2018 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
37. व्रजवासियों के यमनुा-पार जाने का वर्णन; श्रीकृष्ण का वृन्दावन की शोभा का निरीक्षण करके प्रफुल्लित होना, शकटों द्वारा आवास-निर्माण
जननी यशोदा से संलालित होकर श्रीकृष्णचन्द्र भी दाऊ भैया के साथ सखाओं के सहित पुनः वन की शोभा देखने निकल पड़े हैं। जिधर उनकी सलोनी दृष्टि जाती है, जिस ओर वे चरणनिक्षेप करते हैं, उधर ही प्रतीत होता है, मानो सौन्दर्य-अधिष्ठात्री के कोश में जितनी शोभा संचित है, सब की सब बिखेर दी गयी है। वन गोवर्धन, यमुनापुलिन सब ओर से जैसे सौन्दर्य-स्त्रोतस्विनी उमड़ी आ रही हो। उसमें अवगाहन कर सौन्दर्यनिधि श्रीकृष्णचन्द्र एवं शोभाधाम श्रीबलराम आज आनन्द-मुग्ध हो रहे हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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