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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
10. व्रज में क्रमशः छहों ऋतुओं का आगमन और श्रीकृष्ण की वर्षगाँठ
ग्रीष्म ने व्रजपुर की सरसता का रहस्य जान लिया। इसके बाद उसने श्रीकृष्ण की अनेकों सरस सुन्दर लीलाएँ और देखीं। कभी देखा-
कभी देखता-तोरण द्वार के पास व्रजरानी ने श्रीकृष्ण को लाकर बैठा दिया है। स्वयं कुछ दूर पर गोपिकाओं के साथ खड़ी रह कर उनकी चेष्टा देख रही हैं। वहाँ रत्नघटित अलिन्द (बरामदे के चबूतरे) पर बकैयाँ चलते हुए श्रीकृष्ण खेल रहे हैं। वहीं उड़ते हुए कपोतों का एक झुंड आया तथा अलिन्द की छत से लगे हुए मणिदण्डों पर बैठ गया। चबूतरे पर उन पक्षियों की स्पष्ट प्रतिच्छाया पड़ने लगी। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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