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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
35. वृन्दावन-यात्रा का वर्णन
जब रथ सघन वन के पथ से जाने लगता है, उस समय जननी एवं पुत्र का मनोहर संवाद सुनने योग्य ही है। जानकर अनजान बने हुऐ-से श्रीकृष्णचन्द्र आज सर्वथा अबोध शिशु की भाँति प्रश्न पर प्रश्न करते जा रहे है, एवं जननी यशोदा भी हँस-हँसकर उत्तर दे रही हैं-
श्रीकृष्ण ने पूछा-‘अपने चारों ओर असंख्य पत्रों को निरन्तर संचालित करता हुआ यह कौन-सा वृक्ष है?’ जननी बोलीं-‘यह पीपल है।’ कृष्ण-‘यह कोटि अण्डों को प्रसवकर अंगों में लटकाये हुए कौन सा वृक्ष है?’ जननी- ‘इसे उदुम्बर (गूलर) कहते हैं।’ श्रीकृष्ण-‘अपनी सघन जटाओं से परिव्याप्त अंगवाला यह कौन-सा तरु है?’ जननी-‘यह वट है।’ इस प्रकार वन में जाते समय की यह विचित्र प्रश्नावली जननी-पुत्र का यह मनोहर संवाद गोप-गोपसुन्दरियों पर पीयूष की वर्षा कर उन्हें परमानन्द में निमग्न कर रहा है। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (श्रीगोपालचम्पूः)
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