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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
64. श्रीकृष्ण का कालिय के श्यानागार में प्रवेश और नाग वधुओं से उसे जगाने की प्रेरणा करना; नाग पत्नियों का बाल कृष्ण के लिये भयभीत होना और उन्हें हटाने की चेष्टा करना
पर स्वयं नन्दगेहिनी का हृदय दुर्दुर् कर उठा-
जैसे-तैसे इस चिन्तन में ही निशा का अवसान हो गया। व्रजरानी के हृदय की टीस भी किसी अचिन्त्य शक्ति ने हर ली। अतिशय उमंग से भरकर वे आज पुनः स्वयं ही अपने नीलमणि के लिये नवनीत प्रस्तुत करने चली-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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