1.
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बाल-लीला
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1
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2.
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गोपी-उपालम्भ
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4
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3.
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उलूखल-बन्धन
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15
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4.
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इन्द्रकोप-गोवर्धन-धारण
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21
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5.
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गोचारण अथवा छाक-लीला
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40
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6.
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यमुना तट पर वंशीवादन
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24
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7.
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शोभा-वर्णन
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5
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8.
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गोपी-विरह
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29
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9.
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भक्त-मर्यादा-रक्षण
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71
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पदों की वर्णानुक्रमणिका
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1.
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अब सब साँची कान्ह तिहारी।
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6
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2.
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अबहिं उरहनो दै गई, बहुरौ फिरि आई।
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8
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3.
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अब ब्रज बास महरि किमि कीबो।
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9
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4.
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आजु उनीदे आए मुरारी।
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26
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5.
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आलि! अब कहुँ जनि नेह निहारि।
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33
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6.
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आली! टति अनुचित, उतरु न दीजैं।
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52
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7.
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ऊधो! या ब्रज की दसा बिचारौ।
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40
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8.
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ऊधो जू कह्यो तिहारोह कीबो।
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42
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9.
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ऊधो! यह ह्या न कछू कहिबे ही।
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47
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10.
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ऊधो हैं बड़े, कहैं सोइ कीजै।
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53
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11.
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ऊधो! प्रीति करि निरमोहियन सों को न भयो दुख दीन?।
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63
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12.
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ऐसो हौंहुँ जानति भृंग!
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62
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13.
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कबहुँ न जात पराए धामहिं।
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5
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14.
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कहा भयो कपट जुआ जौ हौं हारी।
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71
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15.
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करि है हरि बालक की सी केलि।
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32
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16.
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कही है भली बात सब के मन मानी।
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56
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17.
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कान्ह, अलि, भए नए गुरू ग्यानी।
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54
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18.
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काहे को कहत बचन सँवरि।
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61
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19.
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कोउ सखि नई बात सुनि आई।
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39
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20.
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कौन सुनै अलि की चतुराई।
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59
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21.
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गहगह गगन दुंदुभी बाजी।
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73
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22.
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गावत गोपात लाल नीकें राग नट हैं।
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24
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23.
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गोपाल गोकुल बल्लवी प्रिय गोप गोसुत बल्लभं।
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28
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24.
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गेकुल प्रीति नित नई जानि।
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25
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25.
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छपद! सुनहु बर बचन हमारे।
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66
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26.
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छाँडो मेरे ललन! ललित लरिकाई।
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13
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27.
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छोटी मोटी मीसी रोटी चिकनी चुपरि कै तू
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2
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28.
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जब ते ब्रज तजि गये कन्हाई।
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35
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29.
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जानी है ग्वालि परी फिरि फीकें।
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10
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30.
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जो पै अलि! अंत इहै करिबो हो।
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46
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31.
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जौलौं हौं कान्ह रहौं गुन गोए।
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11
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32.
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टेरीं (कान्ह) गोबर्धन गैया।
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22
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33.
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ताकी सिख ब्रज न सुनैगो कोउ भोरें।
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51
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34.
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तोहि स्याम की सपथ जसोदा! आइ देखु गृह मेंरें।
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3
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35.
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दीन्ही है मधुप सबहि सिख नीकी।
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50
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36.
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देखु सखी हरि बदन इंदु पर।
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25
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37.
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नहिं कछु दोष स्याम को माई।
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30
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38.
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ब्रज पर घन घमंड करि आए।
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21
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39.
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बिछुरत श्रीब्रजराज आजु
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29
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40.
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भली कही, आली हमहुँ पहिचाने।
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25
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41.
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भूलि न जात हौं काहू के काऊ।
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45
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42.
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महरि तिहारे पायँ परौं, अपनो ब्रज लीजै।
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7
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43.
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मधुकर! कहहु कहन जो पारौ।
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41
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44.
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मधुकर! कान्ह कही ते न होही।
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48
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45.
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मधुप! समुझि देखहु मन माही।
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68
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46.
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मधुप! तुम्ह कान्ह ही की कही क्यों न कही है?
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49
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47.
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( माता) लै उछंग गोबिंद मुख बार-बार निरखै।
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1
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48.
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मेने जान और कछु न मन गुनिए।
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44
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49.
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मो कहँ झूठेहुँ दोष लगावहिं।
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4
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50.
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मोको अब नयन भए रिपु माई!
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69
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51.
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ललित लालन निहारि, महरि मन बिचारि,
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19
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52.
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लागियै रहति नयननि आगे तें
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34
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53.
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लेत भरि भरि नीर कान्ह कमल नैन।
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16
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54.
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सब मिलि साहस करिय सयानी।
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55
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55.
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ससि तें सीतल मोकौं लागै माई री! तरनि।
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36
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56.
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सो कहौ मधुप! जे मोहन कहि पठई।
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43
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57.
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सुनत कुलिस सम बचन तिहाने।
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64
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58.
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संतत दुखद सखी! रजनीकर।
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37
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59.
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हरि को ललित बदन निहारु
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15
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60.
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हा हा री महरि! बारो, कहा रिस बस भई,
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17
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61.
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हे हम समाचार सब पाए।
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57
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