श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
53. ब्रह्मा जी का अपने ही लोक में पराभव और वहाँ से लौटकर श्रीकृष्ण को वन में पूर्ववत उन्हीं गोपबालकों एवं गोवत्सों के साथ, जिन्हें वे चुराकर ले गये थे, खेलते देखकर आश्चर्यचकित होना; फिर उनका सम्पूर्ण गोवत्सों एवं गोपबालकों को दिव्य चतुर्भुज रूप में देखना और मूर्च्छित होकर अपने वाहन हंस की पीठ पर लुढ़क पड़ना
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (श्रीमद्भा. 10।13।56)
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |