श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
57. ब्रह्मा जी का श्रीकृष्ण से विदा माँग कर सत्य लोग में लौट जाना; पुनः वन-भोजन; योग माया के द्वारा गोपबालकों एवं गोवत्सों का व्रज में प्रत्यावर्तन; उनके सामने उसी दृश्य का पुनः प्रकट होना, जिसे छोड़कर श्रीकृष्ण बछड़ों को ढूँढ़ने निकले थे, तथा उन्हें ऐसा प्रतीत होना मानो श्रीकृष्ण अभी-अभी गये हैं।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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