गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 174

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
तेरहवां अध्याय
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग


इस अध्‍याय में शरीर और शरीर का भेद बतलाया है।

श्रीभगवानुवाच
इदं शरीरं कौन्‍तेय क्षेत्रमित्‍यभिधीयते।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहु: क्षेत्रज्ञ इति तद्विद:।।1।।

श्री भगवान बोले-

हे कौंतेय! यह शरीर क्षेत्र कहलाता है और इसे जो जानता है उसे तत्‍व ज्ञानी योग क्षेत्रज्ञ कहते हैं।

क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।
क्षेत्रक्षक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्‍ज्ञानं मतं मम।।2।।

और हे भारत! समस्‍त क्षेत्रों, शरीरों में स्थित मुझको क्षेत्रज्ञ जान। मेरा मत है कि क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद का ज्ञान ही ज्ञान है।

तत्‍क्षेत्रं यच्‍च यादृवच यद्विकारि यतश्‍च यत्।
स च यो यत्‍प्रभावश्‍च तत्‍समासेन मे श्रृणु।।3।।

यह क्षेत्र क्‍या है, कैसा है, कैसे विकार वाला है, कहाँ से है और क्षेत्रज्ञ कौन है, उसकी शक्ति क्‍या है, यह मुझसे संक्षेप में सुन।

ऋषिभिर्बहुधा गीतं छन्‍दोभिर्विविधं: पृथक्।
ब्रह्मसूत्रपर्दैश्‍चैव हेतुमद्भिविंनिश्चितै:।।4।।

विविध छंदो में, भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार से और उदाहरण, युक्तियों द्वारा, निश्‍चययुक्‍त ब्रह्मसूचक वाक्‍यों में ऋषियों ने इस विषय को बहुत गाया है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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