विषय सूची
श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
77. कंस के अनुचरों का मुञ्जाटवी में स्थित गोवृन्द को पुनः दावाग्नि से वेष्टित करना और भयभीत गोप-बालकों का श्रीकृष्ण-बलराम को पुकारना; श्रीकृष्ण का बालकों को अपने नेत्र मूँदने को कहकर स्वयं उस प्रचण्ड दावानल को पी जाना
सागर की ओर प्रसरित सुरसरि की शत-सहस्र धारा केसमान वे गायें श्रीकृष्णचन्द्र की ओर दौड़ चलीं-
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |