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महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
अभिमन्यु का पराक्रम
दुर्योधन यह देखकर कृपाचार्य, अश्वत्थामा, शकुनि, बृहदबल, आदि वीरों को लेकर अभिमन्यु से लड़ने के लिए आये। अभिमन्यु ने उन्हें भी अच्छी तरह से छकाया। लड़ते-लड़ते महाराज शल्य के छोटे भाई अभिमन्यु के हाथों से मारे गये। तब दुःशासन अभिमन्यु की ओर झपटा, लेकिब बहुत देर तक उसका सामना करना उसके लिए कठिन सिद्ध हुआ। जब वह कतराकर पीछे हटने लगा तो महारथी कर्ण सामने आ गये लेकिन आज तो मानो नियति ने नौजवार के हाथों से बड़े-बड़े योद्धाओं की नाकें काटने का निश्चय कर लिया था। कर्ण और दुःशासन उससे कतरा गये। राजा बृहदबल लड़ने के लिए सामने आया तो मारा गया। दुर्योधन को बेटा लक्ष्मण जोश में आ गया। वह भी नौजवान था। अभिमन्यु की आतंक भरी तारीफों से तप कर वह भी यह दिखलाने के लिए आया था कि दुर्योधन का बेटा अर्जुन के बेटे से कम पराक्रमी नहीं है, किन्तु लक्ष्मण अपने चचेरे भाई का अधिक देर तक सामना न कर सका, वहीं मारा गया। दुर्योधन अपने पुत्र के मरने का समचार पाकर क्रोध से बावला हो गया। उसने यह निश्चय कर लिया कि धर्म या अधर्म से जैसे भी हो, अभिमन्यु को समाप्त करना ही पड़ेगा। उसने बड़े-बड़े वीरों को साथ लेकर अभिमन्यु को चारों ओर से घेर लिया। यह देख कर आकाश के देवताओं को भी लज्जा आ रही होगी कि एक छोटे से बालक को बड़े-बड़े नामी वीर घेर कर मारने का प्रयत्न कर रहे हैं। उन्हें यह देखकर भी आश्चर्य लग रहा होगा कि देर से लड़ता हुआ यह वीर नौजवार ताजे दम वाले बड़े-बड़े योद्धाओं से भी अधिक फुर्ती से लड़ रहा है, परन्तु बेचारा आखिर कहाँ तक अकेले लड़ता। दुःशासन के बेटे ने उसे अचानक गदा युद्ध में फंसा लिया, अभिमन्यु इस अचानक प्रहार से एकाएक बच न सका। वह घायल होकर अचेत होने लगा, लेकिन गिरते ही वह दुःशासन के बेटे पर अपनी गदा चला ही गया। दुःशासन-पुत्र ने भी लगभग उसी समय अभिमन्यु पर अपनी गदा फेंकी। बड़ी देर से लड़ते हुये वीर बालक अभिमन्यु का शरीर अब तक शिथिल पड़ चुका था और यह गदा प्रहार उसके लिए घातक सिद्ध हुआ। उसका सिर फट गया। वह बिजली जो शत्रुओं के प्राणों में भिन कर उन्हें घण्टों से तड़पा रही थी एकाएक बुझ गई। सूर्य देवता भी मानो यह देखकर दुख से अपना मुंह छिपा कर अस्त हो गये। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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