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महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
भीमसेन का युद्ध-चमत्कार
कलिंगराज के साथ रथों की सेना थी। उसी समय निषादराज केतुमान अपनी हाथियों की सेना लेकर पहुँच गये। दोनों ने भीमसेन को घेर लिया। कलिंगराज को तीर कमान चलाने में कमाल हासिल था। उसका बेटा शक्रदेव भी बड़ा बहादुर था। दोनों बाप-बेटों ने भीम को तीरों से ढक दिया। भीम धनुष विद्या में किसी से कम नहीं थे, मगर उनका असली हथियार गदा ही था। जब वे तीरों से घिर गये तो सुनार की सौ चोटों पर लोहार की एक घन चोट के समान ही उन्होंने अपनी खींच मारी। कलिंगराज का बेटा शक्रदेव उस चोट के धक्के से स्वर्ग सिधार गया। अब तो कलिंगराज काले नाग-सा फुफकार उठा। भीमसेन अब अपनी पर आ गया। उन्होंने कलिंगराज को भी दूसरी गदा फेंककर ढेर कर दिया। इन मरने वाले बाप-बेटों की बाण वर्षा ने भीमसेन का रथ निकम्मा कर डाला था इसलिए वे गदा लेकर मैदान में कूद पड़े। दस हजार हाथियों के घेराव में दस हजार हाथियों की शक्ति वाले महाबली भीम टक्कर लेने के अपनी गदा का कमाल दिखलाने लगे। अपनी गदा लेकर वे चारों ओर ऐसा निशाना साध-साधकर झपट रहे थे कि घड़ों शराब पिलाकर आये हुए मस्त हाथियों का नशा उनकी मार से हिरन होने लगा। ऐसा लगता था कि मानो मेरु पर्वत हाथियों का सागर मथ रहा हो। निषादराज की गज सेना बड़ी अनोखी बलशाली मानी जाती थी लेकिन एक पाण्डव महागजराज रूपी भीम ने उनकी ऐसी धर-पटक मचायी कि उसकी चीख बोल गयी। चिंघाड़ मारते हुए हाथी चूहों की तरह से भागे। डर के मारे बौखलाए हुए वे हाथी कौरव दल की सेनाओं को कुचलते हुए जहाँ-तहाँ भाग चले। कौरवों के लिए वह दिन बहुत बुरा साबित हुआ। एक ओर भीम के हाथों उनकी बड़ी दुर्गति हुई थी, दूसरी ओर शिखंडी की आड़ में भीष्म को बुरी तरह घायल कर दिया गया था। उस दिन रात में दुर्योधन आदि के भाइयों के चेहरे उड़े हुए थे। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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