महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
ध्रुव की कथा
राजा उत्तानपाद ने विवाह के मामले में अपने पिता की नीति नहीं अपनायी। उन्होंने दो रानियां बनायीं, एक का नाम सुनीति और दूसरी का नाम सुरुचि था। सुनीति बड़ी थी, उसके एक बेटा भी था जिसका नाम ध्रुव था। सुरुचि के भी एक बेटा था, उसका नाम उत्तम था। तपस्वी मनु महाराज ने अपने बेटे उत्तानपाद से कहा- “हे पुत्र! तुम अपनी दोनों रानियों के बेटों को एक-सा प्यार देना। ध्रुव बड़ा है इसलिए वही तुम्हारे बाद अपने समाज का चौधरी बनेगा। अगर तुमने इस नीति में कोई फेर-फार किया तो याद रखना उसका नतीजा सदा बुरा ही होगा।” उत्तानपाद यों तो बड़े समझदार थे, मगर वे अपनी दूसरी रानी सुरुचि को इतना अधिक चाहते थे कि जिसके कारण वे अपनी छोटी रानी के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली हो जाते थे। वे अपने मन ही मन में तो ध्रुव को भी उत्तम की ही तरह बहुत चाहते थे पर सुरुचि रानी के सामने वे उसे अपना प्यार देने का साहस भी नहीं कर पाते थे। एक दिन उत्तानपाद अपने दोनों बेटों को चुपचाप साथ लेकर अपने रहने के स्थान से दूर एक नदी के किनारे चले गये। वहाँ उन्होंने जी भर के अपने दोनों बेटों को खेलाया और उनका मनोरंजन किया। बालक ध्रुव को अपनी दाहिनी गोद और बालक उत्तम को बाईं गोद में बैठाकर प्यार से एक जगह कहानी सुनाने लगे, तभी आयीं सुरुचि रानी। अपने बेटे के साथ सौत के भी बेटे को बैठा हुआ देखकर ईर्ष्या और क्रोध के कारण सुरुचि कुरुचि बन गयी। अपने पति को लाल-लाल आंखें दिखाकर उसने कहा- “मैं तो तुम्हें चारों ओर ढूंढ़ते-ढूंढ़ते थक गयी और तुम निकम्मे आदमी की तरह यहाँ बैठे हुए बच्चों से खिलवाड़ कर रहे हो।” बेचारे उत्तानपाद खिसिया गये, तभी सुरुचि ने आगे बढ़कर ध्रुव का हाथ पकड़कर खींचा और कहा- “पिता की गोद में तू नहीं मेरा बेटा ही बैठेगा। चल हट?” सुरुचि ने बच्चे को इतनी जोर से झटकारा कि वह बेचारा अपने पिता की गोद से धरती पर आ गिरा। उत्तानपाद बालक ध्रुव को चुटीला और भयग्रस्त देखकर भी कुछ बोल न सके। उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। सौतेली मां से यह निरादर पाकर ध्रुव थोड़ी देर तक तो स्तब्ध रह गया लेकिन जब सौतेली मां उसे लात मारने के लिए झपटी तो वह सर्र से उठकर भाग गया। अपने ही झटके से सुरुचि रानी का पांव मुड़ गया और उसे मोच आ गयी। वह हाय-हाय चिल्लाने लगी और उत्तानपाद जोरु के गुलाम बने उसका पैर सहलाते हुए डांट खाने लगे। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज