श्रीनारायणीयम्
चतुर्दशदशकम्
उस समय कर्दम ऋषि के शरीर में रोमाञ्च हो आया और वे आपकी स्तुति करने लगे। तब आप उन्हें पत्नी रूप में मनुपुत्री देवहूति को, उससे उत्पाद्यमान नौ पुत्रियों तथा स्वांशभूत कपिल नामक पुत्र को और अंत में अपनी प्राप्तिरूप मोक्ष को भी वरदान रूप में प्रदान करके चले गये।।4।।
तदनन्तर आपके द्वारा भेजे गये नारद के उपदेश से वे स्वायम्भुव मनु महारानी शतरूपा तथा अपनी गुणवती पुत्री देवहूति के साथ आगमन की प्रतीक्षा करने वाले कर्दम ऋषि के आश्रम पर पधारे।।5।।
यद्यपि कर्दम ऋषि आपकी अर्चना से प्राप्त परमानन्द में निमग्न थे तथापि मनु द्वारा उपहार रूप में दी हुई तरुणीरत्न देवहूति को पाकर उसकी निष्कपट सेवा से वे उस पर प्रसन्न हो गये।।6।। |
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