श्रीनारायणीयम्
षट्त्रिंशत्तमदशकम्
परशुराम-चरित
पूर्वकाल में आप अत्रिमुनि के पुत्ररूप में अनसूया के गर्भ से दत्त नाम से से उत्पन्न हुए। उस समय शिष्य बनाने में भगवद्भक्ति में बाधा आएगी, अतः भक्ति में तन्द्रायुक्त चित्त वाले आप आत्मनिष्ठ रहकर रहकर अपनी कान्ता के साथ विचर रहे थे। भक्तश्रेष्ठ हैहय- नरेश कार्तवीर्य अर्जुन ने आपको देखा। आपने राजा को ऐश्वर्ययुक्त आठ वर देकर अंत में अपने ही द्वारा उसके वध का वरदान दिया।।1।।
उस समय जो अर्जुन की शक्तिमात्र से कुछ शान्त, ब्राह्मणों से द्वेष करने वाला अतएव पृथ्वी के लिए भार रूप हो रहा था, उस सम्पूर्ण राजकुल का विनाश करने के लिए तथा अर्जुन के वर को सत्य करने के हेतु आप भृगुकुल में जमदग्नि द्वारा रेणुका के गर्भ से उत्पन्न हुए। हरे! उस समय आपका राम नाम था और आप जमदग्नि के पुत्रों में सबसे छोटे थे। आपने माता-पिता को परम आनन्द प्रदान किया।।2।। |
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