श्रीनारायणीयम्
एकोनविंशतितमदशकम्
दक्षोत्पत्ति वर्णन
भगवन्! पृथु के ही वंश में उनके प्रपौत्र महाराज प्राचीनबर्हि हुए, जो पृथु के ही समान धर्मात्मा तथा कर्मकाण्ड में निष्णात् थे। उन्होंने अपनी भार्या शतद्रुति के गर्भ से प्रचेतस् (प्रचेता) नाम वाले पुत्रों को पैदा किया। वे सब के सब शुद्ध चित्त वाले तथा आपकी करुणा के अंकुर सदृश थे।।1।।
प्रजा की सृष्टि में निरत रहने वाले पिता के प्रजा सृष्टि के लिए आदेश देने पर वे दसों पुत्र आपकी तपस्या में तत्पर होकर पश्चिम-समुद्र के तट पर चले गये। वहाँ उन्हें एक मनोहर सरोवर दृष्टिगोचर हुआ।।2।।
तब भक्तश्रेष्ठ भगवान् शंकर आपके सेवकों के दर्शन की अभिलाषा से आपके इस तीर्थ क्षेत्र में पधारे और प्रचेताओं के सामने प्रकट होकर उन्होंने उन्हें आपके स्त्रोत्र का उपदेश दिया।।3।। |
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