नन्दनन्दन -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
67. पाटली नानी-शंका-सगाई
'गोकुल में महर्षि एक दिन स्वयं मेरे गोष्ठ पधारे।' नन्द ने कहा- 'मैंने प्रार्थना की कि वे बालकों का नामकरण कर दें।' 'उन जैसा ज्योतिष शास्त्र का स्रष्टा मिले तो ऐसा अवसर चूक जाना ही अज्ञता होती।' पञ्च ने सिर हिला दिया। 'उन्होंने संकेत किया कि ये यदुवंश के पुरोहित हैं। उनके नामकरण करने से कहीं कंस इस कुमार को देवकी-पुत्र होने की शंका करने लगे तो अनर्थ हो जायगा।' नन्द ने कहा- 'मेरी प्रार्थना पर उन्होंने गुप्त रूप से यह संस्कार कराना स्वीकार किया। इसीलिये नामकरण संस्कार बालकों का प्रकट नहीं हुआ।' सब शान्त सुनने को उत्सुक थे। नन्द ने कहा- 'महर्षि ने कहा था कि यह गोपों की, गायों की सब विपत्तियों से रक्षा करेगा। इसके साथ प्रीति करने वालों को शत्रु पराभूत नहीं कर सकेंगे। यह श्री, कीर्त्ति, प्रभाव में नारायण के समान होगा। मैं तब से इसे नारायण का ही अंश मानता हूँ।' 'भगवान नारायण समर्थ हैं। वे कच्छप, वाराह तक बन जाते हैं। उनके लिये गोपकुमार बनना बड़ी बात नहीं है।' पञ्च ने दोनों हाथ जोड़कर मेरे जामाता को मस्तक झुकाया- 'व्रजपति! तुम नारायण के पिता हो। हम सब पुत्र के साथ तुम्हारी पूजा करेंगे। हमारा यह अपराध क्षमा कर दो!' केवल एक बात आज की पञ्चायत की और पूरी हो जाय तो अपने पदों की हमें पूजा कर लेने दो। वृषभानु कहाँ हैं?' मेरा जमाता बैठ गया और वृहत्सानुपुर के स्वामी हाथ जोड़कर खड़े हुए। पञ्चों के आगे तो कोई बड़ा हुआ नहीं करता। उनके खड़े होते ही बूढ़ा पञ्च गरजकर बोला- 'हम सबने तुमको जाति-बहिष्कृत कर देने का निर्णय किया है?' 'मेरा अपराध?' बेचारे वृषभानु के नेत्र भर आये। उनका भयभीत मुख देखकर मुझे बहुत दुःख हुआ। 'तुम्हारी कन्या इतनी बड़ी हो गई, तुमने उसका विवाह क्यों नहीं किया?' पञ्च ने क्रोधपूर्वक पूछा- 'गोप-कन्या की सगाई तब हो जाती है, जब वह गोद में रहती है।' 'सगाई तो मैंने तभी कर दी थी।' अब वृषभानु ने भी पूरे बल से पूछा- 'मैं विश्वास कर लूँ कि गोपों के लाख लोगों में कही बात भी पेट में ही रहती है?' 'अवश्य! हम वचन देते हैं।' पञ्च का स्वर ढीला पड़ गया- 'किससे सगाई की?' 'राधा आपकी ही कन्या है।' वृषभानु कुछ हँसकर बोले- 'आपको सगाई करने को कहता तो किससे करते?' अरे! तो मेरे नाती की सगाई भी हो गयी और मुझे पता नहीं। मेरी बटी ने मुझसे भी यह छिपा रखा है। मैं आज ही सगाई का नेग लाऊँगी। |
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज